Tuesday, 3 April 2012
हनुमान जयन्ती
ऐसा माना जाता है कि चैत्र मास की पूर्णिमा को ही राम भक्त हनुमान ने माता अंजनी के गर्भ से जन्म लिया था। यह व्रत हनुमान जी की जन्मतिथि का है। प्रत्येक देवता की जन्मतिथि एक होती है, परन्तु हनुमान जी की दो मनाई जाती हैं। हनुमान जी की जन्मतिथि को लेकर मतभेद हैं। कुछ हनुमान जयन्ती की तिथि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी मानते हैं तो कुछ चैत्र शुक्ल पूर्णिमा। इस विषय में ग्रंथों में दोनों के ही उल्लेख मिलते हैं, किंतु इनके कारणों में भिन्नता है। पहला जन्मदिवस है और दूसरा विजय अभिनन्दन महोत्सव। हनुमान जी के जन्म के बारे में एक कथा है कि -'अंजनी के उदर से हनुमान जी उत्पन्न हुए। भूखे होने के कारण वे आकाश में उछल गए और उदय होते हुए सूर्य को फल समझकर उसके समीप चले गए। उस दिन पर्व तिथि होने से सूर्य को ग्रसने के लिए राहु आया हुआ था। परन्तु हनुमान जी को देखकर उसने उन्हें दूसरा राहु समझा और भागने लगा। तब इन्द्र ने अंजनीपुत्र पर वज्र का प्रहार किया। इससे उनकी ठोड़ी टेढ़ी हो गई, जिसके कारण उनका नाम हनुमान पड़ा। जिस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ वह दिन चैत्र मास की पूर्णिमा था। यही कारण है कि आज के दिन हनुमान जी की विशेष पूजा-आराधना की जाती है तथा व्रत किया जाता है। साथ ही मूर्ति पर सिन्दूर चढ़ाकर हनुमान जी का विशेष श्रृंगार भी किया है। आज के दिन रामभक्तों द्वारा स्नान ध्यान, भजन-पूजन और सामूहिक पूजा में हनुमान चालीसा और हनुमान जी की आरती के विशेष आयोजन किया जाता हैं।
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ReplyDeleteचैत्र पूर्णिमा (हनुमान जयन्ती)
चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन स्त्री पुरुष बाल वृद्ध सभी पवित्र नदियों में स्नान करने के अपने को पवित्र करते है,इस दिन घरों में लक्ष्मी-नारायण को प्रसन्न करने के लिये व्रत किया जाता है,और सत्यनारायण की कथा सुनी जाती है।
चैत्र मास की पूर्णिमा को चैते पूनम भी कहा जाता है,इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में उत्सव रचाया था,जिसे महारास के नाम से जाना जाता है,यह महारास कार्तिक पूर्णिमा को शुरु होकर चैत्र की पूर्णिमा को समाप्त हुआ था।
इस दिन श्री कृष्ण ने अपनी अनन्त योग शक्ति से अपने असंख्य रूप धारण कर जितनी गोपियां थीं,उतने ही कान्हा का विराट पराक्रम से रूप धारण कर विषय लोलुपता के देवता कामदेव को योग पराक्रम से आत्माराम और पूर्ण काम स्थिति प्रकट करके विजय प्राप्त की थी,भगवान श्रीकृष्ण के योगनिष्ठा बल की यह सबसे कठिन परीक्षा थी,जिसे उन्होने अनासक्त भाव से निस्पृह रहकर योगारूढ पद से विषय से रास पंचाध्यायी के श्रीकृष्ण के रास प्रसंग को तात्विक दृष्टि से श्रवण और मनन करना चाहिये।
शास्त्रों के मतैक्य न होने पर चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमानजी का जन्म दिवस मनाया जाता है,वैसे वायु पुराणादि के अनुसार कार्तिक की चौदस के दिन हनुमान जयन्ती अधिक प्रचिलित है,इस दिन हनुमान जी को सजा कर उनकी पूजा अर्चना एवं आरती करें,भोग लगाकर सबको प्रसाद देना चाहिये।